Best Seed for Cotton Farming: कपास की अच्छी पैदावार के लिए इन सबसे अच्छे बीज की करें बुवाई

Best Seed for Cotton Farming: कपास की अच्छी पैदावार के लिए इन सबसे अच्छे बीज की करें बुवाई

Best Seed for Cotton Farming: कपास दुनिया की महत्वपूर्ण फसलों में गिनी जाती है. अगर क्षेत्रफल के लिहाज से बात करें तो भारत में कपास की खेती (Cotton Farming) सबसे अधिक होती है. अपने यहां किसान बीटी कॉटन की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. कुल कपास के क्षेत्रफल में 88 फीसदी रकबे में बीटी कॉटन की ही खेती होती है और किसानों (Farmers) को अच्छा उत्पादन मिलता है. इन दिनों किसानों को कपास का रिकॉर्ड भाव भी मिल रहा है. ऊंची कीमत से उत्साहित किसान आगामी खरीफ सीजन में अधिक से अधिक रकबे में कपास की खेती की योजना बना रहे हैं.

कपास की खेती के लिए जल निकासी वाली काली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. चूंकि यह लंबी अवधि वाली नकदी फसल है, इसलिए इसमें संतुलित पोषण की जरूरत होती है. अगर किसान कपास की खेती करने की योजना बना रहे हैं तो मिट्टी की जांच अवश्य करा लें. इससे पोषण प्रबंधन करने में मदद मिलेगी. बोने से पहले मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई जरूरी है. उसके बाद एक दो जुताई सधारण हल या कल्टिवेटर से करनी चाहिए. इसके बाद किसान रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बना लें और पट्टा चलाकर खेत को समतल कर दें.

कपास की खेती के लिए इस तरह करें तैयारी

गर्मी में जुताई के फौरन बाद एक एकड़ खाली खेत में 1 क्विंटल नीम की खली डालें. किसान चाहें तो पांच किलो नीम का बीज भी पीस कर डाल सकते हैं या एक लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से नीम का तेल भी कारगर साबित हो सकता है. ऐसा करने से मिट्टी में कीटों के अंडे और बीमारी फैलाने वाले कारक नष्ट हो जाते हैं.

अगर आप असिंचित क्षेत्र में रह रहे हैं तो क्यारियों की लंबाई 3.6 फूट और चौड़ाई 1.6 फूट रखें जबकि सिंचित अवस्था में लंबाई और चौड़ाई 4-4 फूट रख सकते हैं. असिंचित अवस्था में पौधों के बीच दूरी 2 फूट होगी जबकि सिंचित अवस्था में 3.6 से 4 फूट रख सकते हैं. बीज को 5 से 6 इंच गहरा गड्ढा बनाकर बोना है, लेकिन बोने से पहले गोबर की खाद और जिप्सम जरूर डालें. एक बीघे के लिए जिप्सम के दो बैगों की जरूरत होगी.

जिन क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था है, वहां कपास मध्य मई से जून के पहले हफ्ते तक बोई जाती है जबकि वर्षा आधारित इलाकों में मॉनसून सक्रिय होने के बाद बुवाई की जा सकती है. इन क्षेत्रों के किसान मध्य जून से लेकर जुलाई के पहले हफ्ते बुवाई कर सकते हैं.

कपास की उन्नत किस्मों से लीजिए बंपर उत्पादन

अच्छी फसल और पैदावार के लिए बीजों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अमेरिकन कपास की उन्नत किस्में लगा सकते हैं. अगर कुछ महत्वपूर्ण उन्नत किस्मों की बात करें तो पूसा 8-6, एलएस- 886, एफ- 286, एफ- 414, एफ- 846, गंगानगर अगेती, बीकानेरी नरमा, गुजरात कॉटन-14, गुजरात कॉटन- 16 और एलआरके- 516 मौजूद है. अगर संकर किस्मों की खेती करना चाहते हैं तो फतेह, एलडीएच- 11, एलएच- 144, धनलक्ष्मी, एचएचएच- 223, सीएसएए- 2, उमाशंकर, राज एचएच- 116 और जेकेएचवाई-1 लगा सकते हैं. अगर देसी किस्मों की बुवाई करनी है तो इसमें एचडी- 1, एचडी- 107, एच- 777, एच- 974, डीएस- 5 और एलडी- 230 महत्वपूर्ण है.

खाद का इस्तेमाल मिट्टी की जांच के आधार पर ही करें. देसी किस्मों के लिए 50-70 किलो नाइट्रोजन, 20-30 किलो फॉस्फोरस की जरूरत होगी. अमेरिकन किस्में बो रहे हैं तो 60-80 किलो नाइट्रोजन, 30 किलो फॉस्फोरस, 20-30 किलो पोटाश का इस्तेमाल कर सकते हैं. संकर किस्मों के लिए किसान 150 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 60 किलो इस्तेमाल खेत में डाल सकते हैं.

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