kapas ki ageti bijai: अगर कर रहे है कपास की अगेती बिजाई तो इन बातों का विशेष रखें ध्यान

kapas ki ageti bijai: कपास की बिजाई का समय शुरू हो गया है। किसान कपास की अगेती बिजाई करें। अगेती बिजाई में जहां बीमारियां कम फैलती है इसी के साथ पैदावार भी अच्छी होती है। कपास की बिजाई जून माह के प्रथम सप्ताह तक कर सकते हैं। मगर अगेती बिजाई का सबसे उपयुक्त समय 15 अप्रैल से 15 मई तक है।
किसान बीज का चयन भारत सरकार द्वारा अधिसूचित व हरियाणा राज्य में काश्त के लिए अनुमोदित किस्मों के प्रमाणित बीज ही बुआई के लिए इस्तेमाल करें। किस्म अधिक उपजाऊ होने के साथ-साथ पीड़क प्रतिरोधक या सहनशील हो।
फसल चक्र का रखें ध्यान
जिले में कपास की दो लाख आठ हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बिजाई होती है। किसान बार-बार एक ही फसल की बिजाई न करें। एक ही खेत में बार बार एक ही फसल लेने की बजाय फसल चक्र अपनाए। इसके लिए चना, बरसीन, मेथी, गेहूं व ईख की फसल के बाद कपास की बिजाई करना ठीक रहता है।
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भूमि में पनप रहे विभिन्न कीटों, कीटाणुओं व फफूंदों को नष्ट करने के लिए गेहूं की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई कर दस या 15 दिन के लिए खाली छोड़ दें। सूंडियों व प्यूपा खुले में आने के कारण या तो तपती धूप में नष्ट हो जाते हैं। या परभक्षियों द्वारा खा लिए जाते हैं। तेज धूप से बहुत सारे कीटाणु व फफूंद नष्ट हो जाते हैं।
बिजाई करते समय ये रखें ध्यान
बिजाई करते समय किसान विशेष ध्यान रखें। इसके लिए बिजाई से पूर्व बीज उपचार करना न भूले। इसी के साथ हमेशा किस्मानुसार निर्धारित बीज मात्रा का प्रयोग करते हुए लाइन से लाइन व पौधे से पौधे की उचित दूरी रखें। बीज की गहराई चार से पांच सेंटीमीटर रखें।
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बिजाई कतारों में पूर्व से पश्चिम दिशा में करें। कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डा. सुनील बैनीवाल ने बताया कि कपास की किसान अगेती बिजाई करें। अगेती बिजाई में जहां बीमारी लगने का डर कम रहता है। इसी के साथ पैदावार अच्छी होती है।