PM Matasya Sampada Yojna : किसानों को मछली पालन के लिए मिल रही 80% सब्सिडी, योजना खत्म होने से पहले करें आवेदन

PM Matasya Sampada Yojna: देश के ग्रामीण इलाकों में मछली पालन का चलन बढ़ रहा है. यह पशुपालन की तरह ही आय का एक अच्छा जरिया बन गया है। पहले मछली पालन केवल नदी और समुद्र तक ही सीमित था। एक खास मछुआरा समुदाय की मछली पकड़ता था, लेकिन आज मछली की बढ़ती मांग ने गांवों में किसानों को मछली पालने के लिए प्रेरित किया है। इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी भी होती है और कृषि भूमि का भी समुचित उपयोग होता है। इससे भूजल स्तर भी बना रहता है। अच्छी बात यह है कि केंद्र और राज्य सरकारें इस काम के लिए किसानों को आर्थिक और तकनीकी सहयोग दे रही हैं।
केंद्र ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएम मत्स्य संपदा योजना) भी चलाई है, जिसके तहत देश भर के किसानों को आधुनिक मछली पालन के लिए अनुदान दिया जाता है। राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर इस योजना में योगदान देती हैं।
इसी सिलसिले में झारखंड के किसानों के लिए जल्द ही एक अच्छी खबर आने वाली है. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने सब्सिडी की राशि 40% से बढ़ाकर 80% करने का निर्णय लिया है।
मछली पालन के लिए 40% से 60% सब्सिडी का उपयोग किया जाता था
केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत झारखंड के किसानों और मछली पालकों को 40% से 60% सब्सिडी का प्रावधान है। इस योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को 60% अनुदान दिया जाता है।
सामान्य वर्ग के हितग्राहियों को 40 फीसदी अनुदान का प्रावधान है, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 80 फीसदी किया जा रहा है. इस मामले में कई बैठकें भी हो चुकी हैं। इस प्रकार की कार्रवाई पूर्ण होते ही किसानों को सरकारी तौर पर लाभ मिलना भी शुरू हो जाएगा।
झारखंड में मत्स्य पालन
झारखंड भारत में मछली पालन क्षेत्र के विकास और विस्तार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। झारखंड में मछली पालन का कार्य बड़े पैमाने पर हो रहा है, यहाँ मछली की खपत भी बहुत अधिक है। अब मछली के आधिकारिक उत्पादन को प्राप्त करने के लिए किसान, मछली किसान और मछुआरे नई तकनीकों को अपना रहे हैं।
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत इन तकनीकों के प्रशिक्षण और इकाइयों की स्थापना के लिए सब्सिडी दी जाती है। पिछले साल सरकार ने राज्य में मछली पालन क्षेत्र के विस्तार के लिए झारखंड में 2,15,000 मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा था, जबकि इस साल 2,57,000 मीट्रिक टन मछली उत्पादन किया जाना है.
सरकार कर्ज भी देगी
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर किसानों, मछली पालकों और मछुआरों को तकनीकी जानकारी, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, लेकिन बाकी खर्चों को निपटाने के लिए मछली पालन क्रेडिट कार्ड योजना की तर्ज पर किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) भी चलाया जा रहा है, जिसके तहत 1 लाख 60,000 तक का अनसिक्योर्ड लोन दिया जाता है.
इस योजना के नियम और शर्तों को पूरा करके कोई भी अधिकतम 3 लाख रुपये तक का ऋण सस्ती दरों पर ले सकता है। किसानों को इस कर्ज पर 7 फीसदी ब्याज देना होता है। यदि ऋण समय पर चुकाया जाता है तो सरकार द्वारा 4% अनुदान भी दिया जाता है।
इस तरह केवल 3% ब्याज दरों का भुगतान करना होगा। अगर आप भी मछली पालन को जोड़कर अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं तो आप पीएम मत्स्य संपदा योजना (PM Matasya Sampada Yojana) की आधिकारिक साइट पर जा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं।